बर्फ़ का विचित्र प्राणी, पेंग्विंग | Interesting Facts About Penguins

बर्फ़ का विचित्र प्राणी, पेंग्विंग | Interesting Facts About Penguins 

बर्फ़ का विचित्र प्राणी, पेंग्विंग | Interesting Facts About Penguins

बर्फ़ का विचित्र प्राणी, पेंग्विंग | Interesting Facts About Penguins

वनों और पहाड़ों की तरह ही बर्फ़ में में भी कुछ जीव- जंतु रहते है ।

पेंग्विंग भी बर्फ़ में रहना वाला एक विचित्र प्राणी है।

आज इस पोस्ट में हम इसी बर्फ़ में रहने वाले जीव के बारे में बात करेंगे ।

हम जब चिड़ियाघर में जाते है तो हमें अनेकों प्रकार के जीव जंतु दिखाई देते है ।

जैसे अफ्रीका के जंगलों से लाये गये ज़ेबरा,जिराफ़ शुतुरमुर्ग, आस्ट्रेलिया के विचित्र

प्राणी कंगारू को भी हमने उछल कूंद मचाते देखा है, इसके अलावा भी हमने कई प्रकार के

जानवर वहां देखे है । परन्तु हमने अभी तक पेंग्विंग को न तो हमने चिड़ियाघर में और ना ही

कहीं और देखा है । हाँ, हमने खिलौने और टीवी में इसके चित्र ज़रूर देखे है ।

 

पेंग्विंग एक पक्षी है जो कि दक्षिण ध्रुव में पाया जाता है । दक्षिण ध्रुव का प्रदेश दक्षिण ध्रुव में पड़ता है ।

यहाँ उत्तरी गोलादर्ध से यहाँ ऋतुएँ विपरीत होती है ।

यदि भूमि के उत्तरी गोलादर्ध में सर्दी की ऋतु है, तो वहां ग्रीष्म ऋतु होगी।

परन्तु ऐसी गर्मी नहीं होगी, जैसी यहाँ होती है । वहां सूर्य की किरणें बहुत कम गर्मी पहुंचाती है ।

इसीलिये वहां सदा बर्फ़ जमी रहती है । हाँ, गर्मियों में कुछ सर्दी अवश्य कम हो जाती है।

जब उत्तरी गोलादर्ध में गर्मी अधिक होती है वहीँ दूसरी ओर दक्षिण ध्रुव में इतनी सर्दी रहती है कि

वहां रहना असंभव हो जाता है । प्रचंड शीत पवनें बड़ी तेज़ गति से चलती है ।

छह माह तक तो वहां केवल रात ही होती है । ऐसे स्थान पर केवल एक ही प्राणी रहता है ।

वह है और उसका नाम है पेंग्विंग ।

 

सर्वप्रथम पेंग्विंग को रोनाल्ड आमनसेन ने देखा था । वह नार्वे का निवासी था।

सबसे पहले दक्षिण ध्रुव की खोज इसी ने की थी । आमनसेन के बाद ब्रिटेन निवासी रॉबर्ट स्काट

दक्षिणी ध्रुव में पहुंचा ।

 

उसने भी वहां पेंग्विंग नामक पक्षियों को देखा ।

आजकल तो अनेक देशों के शिविर दक्षिणी ध्रुव पर स्थापित हो चुके है ।

वहां ऐसे घर भी बना लिये गए है,जो वहां की कठोर जलवायु तथा भयंकर झंझावातों

में भी बड़े आराम से टिके रहते है ।

 

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भारत का भी शिविर वहां बना हुआ है | जब इधर सर्दी होती है तब उधर गर्मी होती है |

इसीलिये भारतीय वैज्ञानिकों ने भी वहां कई वार यात्रायें की है ।

इन कैंपों के यात्री पेंग्विंग को एक समूह में जाते हुये देखते है ।

प्रायः पेंग्विंगों के शरीर बहुत भारी होते है ।

 

भारी शरीर की अपेक्षा उनके पंख बहुत छोटे होते है इसीलिये पेंग्विंग एक लम्बी उड़ान नहीं भर सकते

हाँ वे तेज़ी से दौड़ सकते है उन्हें मनुष्यों के समान दौड़ते हुए देखकर आश्चर्य होता है ।

पेंग्विंग जिस स्थान पर रहता है वह बहुत ही ठंडा होता है । दक्षिणी ध्रुव का लगभग 96% भाग

बर्फ़ से ढका हुआ है | वहां बर्फ़ की औसत मोटाई 2 से 5 किलोमीटर तक आंकी गयी है ।

वहां के महासागर के जल का तापमान 4 डिग्री सेल्सियस से ऊपर नहीं जाता है ।

सर्दियों में तो -70 सेल्सियस तक तापमान हो जाता है ।

 

यही कारण है कि ऐसे कठोर ठन्डे प्रदेश के वासी को चिड़ियाघर में नहीं रख सकते ।

जैसे उत्तरी ध्रुव के रेंडियर तथा शीत प्रदेश के याक चिड़ियाघर में नहीं देखे जा सकते है |

इसीप्रकार पेंग्विंग भी यहाँ नहीं देखा जा सकता है ।

सोचने की बात यह है कि जहाँ इतनी बर्फ़ जमी हुयी रहती है ।

वहां पेंग्विंग भोजन क्या करता है | दक्षिण सागर में ह्वेल और क्रिल नामक मछलियाँ तथा

कुछ अन्य प्राणी भी पाये जाते है ।

वहां के पाल्मर प्रायद्वीप पर लाइकेन और मांस बनस्पति भी पाई जाती है ।

इसीलिए यही अनुमान लगाया जाता है कि पेंग्विंग कुछ मछली और बनस्पति खाकर अपना जीवन

निर्वाह करता होगा ।

 

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