सब्र की परीक्षा । Motivational Short Hindi Story on Patience

सब्र की परीक्षा ।

Motivational Short Hindi Story on Patience

सब्र की परीक्षा । Motivational Short Hindi Story on Patience

सब्र की परीक्षा । Motivational Short Hindi Story on Patience

बहुत समय पहले की बात है एक संत थे, उनका मानना था, कि हमें जिस चीज की जरूरत होती

है, ईश्वर हमें वह दे ही देता है । वह अपने पास केवल एक कमंडल और एक रस्सी रखते

थे, इसके अलावा वे कुछ नहीं रखते थे और वे इधर- उधर घूमते रहते थे।

 

एक बार संत कहीं  जा रहे थे, रास्ते में उनको बड़ी तेज़ प्यास लगी, मगर उनको कही भी पानी दिखाई

नहीं दिया। प्यासे संत लाचार होकर आगे बढ़ते रहे। कुछ दूर जाने पर उन्हें पानी से लबालब भरा हुआ

एक कुआं दिखाई दिया। जसमें एक हिरन पानी पी रहा था।

 

संत ने सोचा-

इसमें तो पानी एकदम ऊपर है। इसलिए वह कमंडल और रस्स्सी को छोड़कर कुएं के पास

पहुंचे। उनके पहुँचते ही पानी एकदम नीचे चला गया। संत हैरान हो गए, उन्होंने आसपास चारों और

अपनी आँखों से देखा पर उनको वहां कुछ नहीं दिखाई दिया।

 

वह थोड़े परेशान हो गये कि आखिर बात क्या है अभी तो मैंने  दूर से पानी से भरा कुआं देखा था।

अचानक पानी कहाँ  गया। तब एक बहुत तेज़ आवाज़ आयी कि हे वत्स तुम हैरान परेशान क्यों हो।

हिरन प्यासा था।

 

उसके पास कुएं से पानी निकलने के लिए न तो कोई रस्सी थी न ही कोई कमंडल। तो मैं ही हूँ।

जिसने कुएं के पानी को उपर कर दिया था, ताकि पानी वह पी सके। और मैंने देखा कि तुम तो

रस्सी और कमंडल लिये हुये हो। तो तुम पानी कुएँ से खीचकर निकाल सकते हो और पी सकते हो।

 

संत को यह बात अच्छी नहीं लगी उनको गुस्सा आ गया। उन्होंने कपना कमंडल और रस्सी दोनों

ही बहुत दूर फेक दी। और गुस्से में बिना पानी पिये ही वहां से चले गये। और जैसे ही जाने लगे तो

वही आवाज़ फिर से आई कि हे संत तुम बिना पानी पिये कहाँ जा रहे हो।

 

मैं तो तुम्हारे सब्र का इम्तिहान ले रहा था जाओ जाकर पानी पी लो तुमने तो हमें हरा ही दिया।

तुम्हारे पास एक रस्सी और कमंडल था वह भी तुम  यहाँ छोड़ के जा रहे हो ।आगे भी पानी न पी

पाओगे। तुमने तो अपनी रस्सी और कमंडल का भी मोह त्याग दिया।

 

इससे यह सवित होता है। तुम बिना सहारे भी अपना जीवन जी सकते हो। यह यकीन बहुत बड़ा है

किसी  सहारे के बिना  जीने के लिये हर किसी के पास यह ताकत नहीं होती है न इतनी हिम्मत होती है। संत

असमंजस में थे कि कही ये एक सपना तो नहीं है  पर अब संत में नया पहले से भी ज्यादा आत्मविशवास

आ चुका था।

 

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें हर परिस्थति में रहना आना चाहिये चाहे जीवन में कितनी

भी परेशानियाँ अ जाये हार नहीं माननी चाहिये।

 

 

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