चिंटू का पछतावा । Motivational Short Hindi story of Regret

चिंटू का पछतावा ।

Motivational Short Hindi story of Regret

चिंटू का पछतावा । Motivational Short Hindi story of Regret

चिंटू का पछतावा । Motivational Short Hindi story of Regret

एक शरारती व जिद्दी चूहा था । जिसका नाम चिंटू था । वह दूसरों की चीजे आसानी से खा लिया करता था।

परन्तु वह अपनी चीजे कभी कभी किसी को नहीं देता था । यहाँ तक कि अपनी बहन चिटकी को भी नहीं देता था ।

चिटकी उसे हमेशा समझाया करती थी कि भैया हमें सभी चीजे मिलकर खाना चाहिए ।

 

परन्तु वह एक कान से सुनता और दुसरे कान से निकाल देता था ।

एक दिन चिंटू रोटी कुतर रहा था । तभी चितकी ने उससे थोड़ी सी रोटी मांगी । लेकिन चिंटू उसे चिढ़ाते हुए वहां से भाग गया ।

यह देख चिटकी उदास हो गयी और उसने कुछ नहीं कहा।

 

रविवार का दिन था । चिंटू एक कोने में बैठकर न जाने क्या सोच रहा था ।

उसने चिटकी से पूंछा दीदी दिवाली कब है ? चिटकी ने बताया दिवाली आने में तो काफी दिन बचे है।

यह सुनकर चिंटू उदास हो गया ।

 

क्या बात है चिंटू तुम उदास क्यों हो गए ?  उत्सुकता से चिटकी ने पूंछा 

“उदास ? मैं उदास कहाँ हूँ ? मैं तो बस यूँ हीं पूंछ रहा था”

सकुचाते हुये चिंटू ने कहा ।

 

“अच्छा चिंटू यह बताओ दिवाली क्यों मनाई जाती है ?”, चिटकी ने पूंछा ।

“दिवाली, पटाखे चलाने और मिठाइयाँ खाने के लिये मनाई जाती है, दीदी !”,

सहजता से उसने जबाब दिया ।

 

“ अरे वाह! तुम्हे तो सब कुछ याद है । अच्छा यह बताओं कि पिछली दिवाली

पर तुम मिठाइयों के लिये मुझसे झगड़ पड़े थे, वह बात याद है या नहीं ?

 

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“ अच्छी तरह से याद है दीदी ; लेकिन इस बार लड़ाई नहीं करूँगा”, चिंटू चूहे ने कहा ।

एक शाम, चिंटू की माँ ने उसे हलवा बनाकर खिलाया और कहा –

“थोडा सा हलवा चिटकी को भी दे आओ” ।

लेकिन वह माँ की नजर बचाकर चिटकी का हलवा भी खुद खा गया ।

जब माँ को यह बात पता चली तो माँ उसे डांटने लगी । तब चिटकी के कहने पर

माँ ने चिंटू को डांटना बंद किया ।

“क्यों चिंटू तुम मिल बांटकर खाने वाली बात भूल गये मुस्कुराते हुये चिटकी बोली”।

“गलती हो गयी दीदी, अब नहीं भूलूँगा”, कान पकड़ते हुये चिंटू ने कहा ।

“तो फिर यह लो मिठाईयां”, मुस्कुराते हुये चिटकी ने कहा।

 

आज चिंटू बेहद खुश था, मानो उसके मन की इच्छा पूरी हो गयी हो ।

आखिर लम्बे इंतज़ार के बाद दिवाली जो आ गयी थी ।

 

चिंटू सुबह से ही घर में उधम मचाये हुए था। कभी इधर तो कभी उधर

सामान फैलाकर भाग रहा था । जब चिटकी ने उससे थोड़ी मिठाई मांगी,

तो उसने चिटकी को मुंह चिडाया और भाग गया ।

 

जाते जाते चिटकी ने उससे कहा था नहीं देना है तो मत दो

मैं भी तुम्हारे काम नहीं आउंगी ।

 

रात होते ही चारों ओर दिये टिमटिमाने लगे । चारों ओर रोशनी ही रोशनी थी

अब मिठाइयाँ भी ख़त्म हो चुकी थी, पर चिटकी और उसके दोस्त के पास अब भी मिठाइयाँ थी

पर इस बार वह मांग न सका क्योंकि उसे याद आ गया कि जब चिटकी ने उससे मिठाई मांगी थी

तब वह उसे चिड़ाकर भाग गया था । चिंटू उदास हो गया था ।

 

और यह भी समझ में आ गया था कि चिटकी मिलबांटकर खाने की सलाह क्यों देती है ।

पर अब तो समय ही बीत चुका था ।यह सोचकर वह अपने गाल पर हाथ रखकर चुपचाप बैठ गया ।

 

चिंटू को उदास देखकर चिटकी उसके पास गयी और बोली मेरे प्यारे भाई क्यों उदास बैठे हो।

मैं कोई मदद कर सकती हूँ तुम्हारी ? अपनी बहन की बातें सुनकर वह तेज़ रोने लगा ।

उसे गले लगा लिया और बोला दीदी क्या आप मुझे माफ़ नहीं कर सकती हो ।

“माफ़ ? लेकिन तुमने किया क्या है ऐसा ?”, चिटकी ने पूंछा ।

 

दीदी मैंने तुम्हारा दिल दुखाया और तुम्हारी बात भी नहीं मानी ।

यह कहकर वह और रोने लगा ।

 

तब चिटकी बोली – “मेरे भाई रोना बंद करो । अब तुम समझ चुके हो।

चलो मिलकर खेलें ” अब चिंटू हमेशा मिल बांटकर खाने लगा ।

 

इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि हमें मिल बाँट कर खाना चाहिए और दूसरों का हिस्सा कभी नहीं खाना चाहिए ।

दूसरों को हमेशा उनकी ग़लती के लिए आसानी से माफ़ कर देना चाहिए ।

 

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