रात और चाँद हिंदी कविता । Short Hindi Poem Rat and chand
कर रही है रात ज़िद ढल जाने की
और चाँद की ख़्वाईश है रात के साथ जल जाने की
कहते- कहते सुनते- सुनते रात गुज़र गई
और चाँद की ख़्वाईश सुबह में बदल गई
अब था उजाला ही उजाला चारों तरफ़ मुख़्तसर
और चाँद भटक रहा था दरबदर
शायद सूरज की रोशनी ने छिपा दिया था चाँद को
और रात भी सूरज के आग़ोश में जा छिपी थी
चाँद का भी कहीं नामोनिशान न था
धीरे धीरे दिन ढलने लगा
सूरज मद्धम हुआ और रात का दिल जलने लगा
सूरज भी साथ निभाने की क़सम तोड़ गया
रात को तनहा अकेली छोड़ गया
रात ने देखा तो चाँद अब भी इंतज़ार में परेशाँ घूम रहा था
मगर रात अब कुछ समझ सी गई थी
साथ निभाने की तमन्ना अब खो सी गई थी
रात और दिन के खेल से रूबरू भी हो गयी थी
तय कर लिया था उसने अकेले ही ख़ुश रहना
ऐसी ही कई कवितायें सुनने के लिए हमारे यूटूब चैनल Dolafz Hindi Shayari को Subscribe ज़रूर करें।
MUST READ
best poem i have read
now you can go through my site
http://www.poembysanjayt.blogspot.com