रात और चाँद हिंदी कविता । Short Hindi Poem Rat and chand

रात और चाँद हिंदी कविता । Short Hindi Poem Rat and chand

 रात और चाँद हिंदी कविता । Short Hindi Poem Rat and chand

रात और चाँद हिंदी कविता । Short Hindi Poem Rat and chand

कर रही है रात ज़िद ढल जाने की

और चाँद की ख़्वाईश है रात के साथ जल जाने की

कहते- कहते सुनते- सुनते रात गुज़र गई

और चाँद की ख़्वाईश सुबह में बदल गई

 

अब था उजाला ही उजाला चारों तरफ़ मुख़्तसर

और चाँद भटक रहा था दरबदर

शायद सूरज की रोशनी ने छिपा दिया था चाँद को

और रात भी सूरज के आग़ोश में जा छिपी थी

 

चाँद का भी कहीं नामोनिशान न था

धीरे धीरे दिन ढलने लगा

सूरज मद्धम हुआ और रात का दिल जलने लगा

 

सूरज भी साथ निभाने की क़सम तोड़ गया

रात को तनहा अकेली छोड़ गया

 

रात ने देखा तो चाँद अब भी इंतज़ार में परेशाँ घूम रहा था

 

मगर रात अब कुछ समझ सी गई थी

साथ निभाने की तमन्ना अब खो सी गई थी

 

रात और दिन के खेल से रूबरू भी हो गयी थी

तय कर लिया था उसने अकेले ही ख़ुश रहना

 

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MUST  READ

 

न जाने क्या है इस खामोशी का सबब

कुछ नहीं कहना है कुछ नहीं सुनना है

तनहाँ सी ज़िंदगी

तुम भी क्या ख़ूब कमाल करते हो 

हमारे देश की महान नारी 

क्य वाक़ई में भारत आज़ाद हो गया है 

ये ख़ामोशी ये रात ये बेदिली का आलम 

कभी कभी अपनी परछाईं से भी डर लगता है 

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Comments

  1. best poem i have read
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