रबिन्द्रनाथ टैगोर का देशप्रेम Inspirational Hindi story of Rabindranath tagore

रबिन्द्रनाथ टैगोर का देशप्रेम

Inspirational Hindi story of Rabindranath tagore

रबिन्द्रनाथ टैगोर का देशप्रेम Inspirational Hindi story of Rabindranath tagore

रबिन्द्रनाथ टैगोर का देशप्रेम Inspirational Hindi story of Rabindranath tagore

श्री रबिन्द्रनाथ टैगौर जो कि हमारे देश के एक महान लेखक थे। उनके लेखन की प्रतिभा देश ही नहीं विदेशों में भी प्रसिद्ध थी। जब उन्होंने लेखन की शुरुआत की थी, तभी लोग उनके लेखन से आकर्षित होने लगे थे। धीरे-धीरे उन्होंने जब साहित्य के क्षेत्र में कदम आगे बढ़ाया। तो सारा देश में लोग  उनकी रचनाएं पसंद करने लगे और यही नहीं उनकी रचनायें सारे विश्व को आकर्षित करने लगी।

उनकी रचना गीतांजलि को वर्ष 1913 में नोबेल पुरूस्कार से सम्मानित किया गया। इसके बाद उनकी रचनाओं की चारों प्रशंसा होने लगी। टैगौर के इस गौरव से सारे हिंदुस्तानिओं का सर ऊँचा हो गया। धीरे- धीरे उन्हें कई उपाधियों से सम्मानित किया गया कलकत्ता विश्वविद्यालय ने उन्हें डॉक्टरेट और ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय ने उन्हें डॉक्टर ऑफ़ लिटरेचर की उपाधि दी।

ब्रिटिश सरकार ने तो उन्हें ‘सर’ की उपाधि से विभूषित किया। रबिन्द्रनाथ ने निष्काम भाव से साहित्य की सेवा की। साथ ही साथ उन्हें ये बात अच्छी तरह से पता थी कि देश किस तरह ब्रिटिश सरकार के चंगुल में फँसा है। वे देश को आज़ाद देखना चाहते थे और उसके लिए योजनायें भी बना रहे थे।

वर्ष 1919 भारत का राजनितिक माहौल बदला। भारत के क्रांतिकारियों में एक नया जोश आया। तभी ब्रिटिश सरकार ने क्रांतिकारियों के बढ़ते हुए होंसले को देखकर उन पर तरह- तरह  अत्याचार शुरू कर दिए। जब जलियांवाला बाग़ में सरकार ने निहत्थी जनता पर गोलिया चलाइ। यह देखकर उनका मन रो पड़ा। उन्होंने अपने देश के लिए एक फैसला लिया और ब्रिटिश सरकार द्वारा दी गयी ‘सर’  की उपाधि वापस कर दी।

उसके बाद उन्होंने वायसराय को एक पत्र लिखा कि अब समय आ गया है कि जब सम्मान के पट्टे अपमान और अत्याचारों से अधिक मेल नहीं खा सकते। मैं अपनी सारी विशिष्टताओं को छोड़कर अपने देशवासियों के साथ हो जाना चाहता हूँ। उन्हें भारी अपमान और अत्याचार सहना पड़ रहा है ऐसे मैं उनका साथ देना चाहता हूँ।

वायसराय यह पत्र देखकर दंग  रह गए। उनके मुंह से स्वत: निकल पड़ा की आप सच्चे साहित्यकार और सच्चे देशभक्त हैं। उनकी देश भक्ति उनके लिखे राष्ट्रीय गीतों के एक- एक शब्द में साफ़ झलकती है। वाकई रबिन्द्रनाथ टैगोर हमारे देश के महान साहित्यकार होने के साथ-साथ एक महान इंसान भी थे, जिनका दिल देश प्रेम से भरा हुआ था।

 

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