मिर्ज़ा ग़ालिब के मशहूर शेर । Famous sher of Mirza Galib
उर्दू के बेताज बादशाह मिर्ज़ा ग़ालिब जिनकी शायरी के लोग दीवाने हैं। उन्हें गुज़रे हुए 150 वर्ष बाद भी उनकी शायरी पर research की जा रही है।ग़ालिब का एक- एक शेर पढ़ने वाले के दिल पे छाप छोड़ जाता है। आज मैं मिर्ज़ा ग़ालिब के कुछ मशहूर शेर आपके साथ Share करने जा रही हूँ।
1:
कोई मेरे दिल से पूंछे तिरे तीर-ए-नीम-कश को
ये खलिश कहाँ से होती जो जिगर के पार होता
2 :
हमको मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन
दिल के ख़ुश रखने को ‘ग़ालिब’ ये ख़याल अच्छा है
3 :
हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि
हर ख़्वाहिश पे दम निकले
बहुत निकले मिरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले
4 :
ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता
अगर और जीते रहते यही इंतिज़ार होता
5:
उन के देखे से जो आ जाती है मुँह पर रौनक़
वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है
6 :
आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक
कौन जीता है तिरी ज़ुल्फ़ के सर होते तक
7 :
न था कुछ तो ख़ुदा था कुछ न होता तो ख़ुदा होता
डुबोया मुझ को होने ने न होता मैं तो क्या होता
8 :
इश्क़ पर जोर नहीं है ये वो आतिश ‘ग़ालिब’,
कि लगाये न लगे और बुझाये न बुझे
9 :
हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है
तुम्हीं कहो कि ये अंदाज़-ए-गुफ़्तगू क्या है
10 :
रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ायल
जब आँख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है
11 :
वो आए घर में हमारे, खुदा की क़ुदरत हैं!
कभी हम उमको, कभी अपने घर को देखते हैं
12 :
जला है जिस्म जहाँ दिल भी जल गया होगा
कुरेदते हो जो अब राख जुस्तजू क्या है
13
हैं और भी दुनिया में सुख़न-वर बहुत अच्छे
कहते हैं कि ‘ग़ालिब’ का है अंदाज़-ए-बयाँ और
Must watch Famous Sher of Mirza Galib
MUST READ
न जाने क्या है इस खामोशी का सबब
कुछ नहीं कहना है कुछ नहीं सुनना है
तनहाँ सी ज़िंदगी
तुम भी क्या ख़ूब कमाल करते हो
हमारे देश की महान नारी
क्य वाक़ई में भारत आज़ाद हो गया है
ये ख़ामोशी ये रात ये बेदिली का आलम
Friends अगर आपको ये Post ” मिर्ज़ा ग़ालिब के मशहूर शेर । Famous sher of Mirza Galib ” पसंद आई हो तो आप इसे Share कर सकते हैं.
कृपया Comment के माध्यम से हमें बताएं आपको ये Post कैसी लगी।
FOR VISIT MY YOUTUBE CHANNEL
CLICK HERE
DoLafz की नयी पोस्ट ईमेल में प्राप्त करने के लिए Sign Up करें
Speak Your Mind