मुझसे पहली सी मोहब्बत मेरे मेहबूब ना मांग Faiz Ahmad Faiz Shayari in Hindi

मुझसे पहली सी मोहब्बत मेरे मेहबूब ना मांग

Faiz Ahmad Faiz Shayari in Hindi

मुझसे पहली सी मोहब्बत मेरे मेहबूब ना मांग Faiz Ahmad Faiz Shayari in Hindi

मुझसे पहली सी मोहब्बत मेरे मेहबूब ना मांग Faiz Ahmad Faiz Shayari in Hindi

 

मुझसे पहली सी मोहब्बत मेरे मेहबूब ना मांग

मैंने समझा के तू है तो दरख़्शाँ है हयात

 

तेरा ग़म है तो ग़म-ए-दहर का झगड़ा क्या है
तेरी सूरत से है आलम में बहारों को सबात

 

तेरी आँखों के सिवा दुनिया में रखा क्या है
तू जो मिल जाए तो तक़दीर निगूं हो जाये

 

यूँ ना था मैंने फ़क़त चाहा था यूँ हो जाये…

 

और भी दुःख हैं ज़माने में मोहब्बत के सिवा
राहतें और भी हैं वस्ल की राहत के सिवा

 

अनगिनत सदियों के तारीक बहिमाना तिलिस्म
रेशम ओ अतलस ओ किम- ख़ाब में बुुंवाए हुए

 

जा-ब-जा बिकते हुए कूचे-ओ-बाज़ार में जिस्म
ख़ाक में लुथड़े हुए खून में नहलाये हुए

 

जिस्म निकले हुए अमराज़ के तनूरों से
पीप बहती हुई गलते हुए नासूरों से

 

लौट जाती है उधर को भी नज़र क्या कीजे
अब भी दिलकश है तेरा हुस्न मगर क्या कीजे

 

और भी दुःख हैं ज़माने में मोहब्बत के सिवा
राहतें और भी हैं वस्ल की राहत के सिवा

 

मुझसे पहली सी मोहब्बत
मेरे मेहबूब.. ना मांग

 

“फ़ैज़ अहमद फ़ैज़”

 

FOR VISIT MY YOUTUBE CHANNEL

CLICK HERE

Friends अगर आपको ये Post ” मुझसे पहली सी मोहब्बत मेरे मेहबूब ना मांग Faiz Ahmad Faiz Shayari in Hindi ”  पसंद आई हो तो आप इसे Share कर सकते हैं.

कृपया Comment के माध्यम से हमें बताएं आपको ये पोस्ट  कैसी लगी.

DoLafz की नयी पोस्ट ईमेल में प्राप्त करने के लिए Sign Up करें

Comments

  1. Waah bahut khoob Faiz sahab ki baat hi aur hai but aapki choice kya kahna

Speak Your Mind

*