घर से निकल तो गई हूँ heart touching Hindi Poetry ।। हिंदी शायरी दिलचस्प

घर से निकल तो गई हूँ heart touching Hindi Poetry
घर से निकल तो गई हूँ
पर पता ही नहीं है
रास्ता कहाँ है जाना कहाँ है
भटकने का तो सवाल ही नहीं है
क्यूँ कि पता ही नहीं है
जाना कहाँ है मंजिल कहाँ है
खुद को ढूँढा बहुत मिल तो गई हूँ
पर पता ही नहीं है
मैं ही मिली हूँ या ये मिला कोई और
बदली बदली सी लगती हूँ खुद को
जैसे पता तो सही है पर रहता कोई और
सजाया था मैंने जो एक ख्वाव मेरा
पता ही नहीं है
नींद खुल जो गई तो मैं हूँ कोई और
करती रही बातें अकेले में खुद से
पता ही नहीं था
अन्दर ही रहता दिलचस्प कोई और
पता ही नहीं है
रास्ता कहाँ है जाना कहाँ है
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Best realistic and heart touching poem …. Thanks.
Thanks…