मोपासां का लेखन
Inspirational Short Hindi Story of Guy de Maupassant
एक बार की बात है। फ़्रांस का एक युवक था। जिसने समाज की समस्याओं और लोगों के दुखों को महसूस किया और एक छोटी सी कहानी लिखी। उसने अपनी कहानी में सीधी सादी सरल भाषा का प्रयोग किया। मगर कहानी कुछ नई तल्नीक से लिखी।
उसने निश्चय किया कि इस कहानी को वह देश के प्रमुख पत्र पेरी हेराल्ड में प्रकाशित कराने के लिए देगा। उसके बाद वह अपनी कहानी लेकर पेरी हेराल्ड के सम्पादक के पास गया.
सम्पादक ने उसकी कहानी को बिना पढ़े ही लेने से इनकार कर दिया और बोला-
“तुम नये कहानीकार लगते हो. तुम्हारे पास लेखन का कोई अनुभव नहीं है। मेरे ख्याल से अनुभव और सृज़न कला में भी तुम अपरिपक्व हो। मुझे नहीं लगता, पेरी हेराल्ड जैसे प्रसिद्ध पत्र के स्तर की कहानी तुम्हारे पास होगी। तुम किसी और जगह कोशिश करो।”
युवक ने सम्पादक की बातें बड़ी ही सहजता से ली। वह सम्पादक से बोला-
“‘मैं अपनी कहानी आपके पास छोड़कर जा रहा हूँ। उम्मीद करता हूँ, समय मिलने पर आप मेरी कहानी पर एक नजर जरुर डालेंगे। जो कुछ भी उसमे कमी है मुझे बतायेंगे ताकि, मैं उसमे सुधार कर सकूँ।”
कुछ दिनों बाद युवक अपने घर में था। उसे दरवाज़ा खटखटाने की आवाज़ आई। उसने दरवाज़ा खोला वह हैरान हो गया। सामने पेरीहोल्ड के सम्पादक खड़े थे। युवक आदर के साथ उन्हें अन्दर ले गया और बोला- आप सूचित कर देते। मैं स्वयं आपके पास आ जाता।
सम्पादक बोले- “आना तो मुझे था, फ़्रांस के महान कहानीकार से मिलने।”
बधाई हो ! आपकी कहानी को पढने के बाद उसे उच्च कोटि का पाया गया। आपको महान कहानीकार की पद्वी से विभूषित किया गया है। युवक की ख़ुशी का ठिकाना नहीं था। उसे अपने कानों पर यकीन नहीं हुआ।
सम्पादक ने एक हज़ार फ्रेंक के नोट निकालकर उस युवक को दिए और कहा- मैं आशा करता हूँ कि आप भविष्य में भी पेरीहोल्ड में अपनी रचनाएँ भेजते रहेंगे।
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