Interesting Facts of Ravana in Hindi
रावण से जुड़े रोचक तथ्य

Interesting Facts of Ravana in Hindi रावण से जुड़े रोचक तथ्य
वाल्मीकि द्वारा लिखी गई रामायण महाकाव्य के अनुसार रावण लंकापुरी का सबसे शक्तिशाली
राजा था।
तुलसीदास जी के द्वारा लिखी गई रामचरितमानस में रावण का जन्म एक शाप के कारण हुआ
था। वे नारद एवं प्रतापभानु की कथाओं को रावण के जन्म का कारण बताते हैं।
रावण की माता कैकसी सुमाली की पुत्री थी।
रावन के दस सिर होने के कारण उसको हम दशकंठी और दशानन जैसे नामों से जानते है।
जैन शास्त्रों में कहा गया है कि रावण के गले में गोलाकार बड़ी-बड़ी नौ मणियां थीं। उन नौ
मणियों में रावन का सिर दिखाई देता था इसकारण उसके दस सिर होने का केवल भ्रम होता था।
शायद आप यह नहीं जानते हैं कि एक स्त्री ने लंका के राजा रावण से अपने अपमान के बदले
को पूरा करने के लिये, दूसरे जन्म में सीता के रूप धारण किया था।
रावन की बहन का नाम शूर्पणखा था वह भी अपने भाई का सर्वनाश चाहती थी क्योंकि रावन ने
उसके पति का भी बध कर दिया था, तभी से रावन को उसकी बहन ने मन ही मन श्राप दिया
कि उसका नाश उसके द्वारा होगा।
रावन ही एक ऐसा व्यक्ति था जिसने यमराज से भी युद्ध किया था।
रावन को मायावी कहा जाता था, क्यों कि उसे तंत्र, सम्मोहन और तरह-तरह के जादू भी आते
थे। उसके पास एक विमान था उसके जैसा विमान अन्य किसी के पास नहीं था।
आज के युग के अनुसार रावण का राज्य विस्तार इंडोनेशिया, मलेशिया, बर्मा, दक्षिण भारत के कुछ
राज्य और पूरी श्रीलंका तक फैला हुआ था
यह माना गया है कि रावण ने भगवान ब्रह्मा की कई सालों तपस्या की और जब भगवन प्रकट
हुये तो रावन ने उनसे अमर होने का वरदान माँगा, लेकिन ब्रह्मा जी ने रावन के इस वरदान को
मानने से इन्कार कर दिया और रावन से कहा कि तुम्हारा जीवनकाल तुम्हारी नाभि में
स्थित रहेगा।
जब भगवान राम और रावण का युद्ध हो रहा था, तब रावण और उसकी सेना राम की सेना पर
भारी पड़ने लगी थी तब ऐसे में रावन के भाई विभीषण ने ही भगवान राम को यह राज की बात
बता दी थी कि रावण का जीवन उसकी नाभि में उपस्थित है।
उसकी नाभि में ही अमृत बसा हुआ है और राम ने रावण की नाभि में तीर मारा और तत्काल ही रावण की मृत्यु हो गई ।
Interesting Facts of Ravana in Hindi रावण से जुड़े रोचक तथ्य
रावण में अवगुण कम और गुण बहुत अधिक थे। रावण एक विद्वान व्यक्ति था। वेद-शास्त्रों का
ज्ञान तो उसकी रग-रग में समाया हुआ था और वह भगवान शिव का अनन्य भक्त था।
उसे तंत्र, मंत्र और सिद्धियों तथा कईप्रकार के गूढ़ विद्याओं का भी ज्ञान था इसके अलावा उसे
ज्योतिष विद्या का भी ज्ञान था।
वाल्मीकि के द्वारा रचित पद्मपुराण, रामायण महाकाव्य तथा श्रीमद्भागवत पुराण के अनुसार
हिरण्यकशिपु एवं हिरण्याक्ष अपने दूसरे जन्म में रावण और कुंभकर्ण के रूप में जन्म लिया।
रावण पुलस्त्य मुनि के पोते थे। उनकी विश्वश्रवा की वरवर्णिनी और कैकसी नाम की दो पत्नियां
थी।
विश्व विजय प्राप्त करने के लिये रावण स्वर्ग लोक पहुंच गया तब उसे वहां अप्सरा दिखाई दी
जिसका नाम रंभा नाम था।
अपनी वासना को पूरा करने के लिये रावण उसे परेशान करने लगा।
तब रम्भा नाम की उस अप्सरा ने रावन से कहा कि आप मुझे इस तरह से स्पर्श नही कर
सकते है| मैं नलकुबेर के लिये आरक्षित हूं।
आपका मुझ पर कोई अधिकार नहीं है।
इसतरह मैं आपकी पुत्र वधू के जैसी हूं, लेकिन रावण फिर भी नहीं माना और उसने रंभा के साथ
दुरव्यवहार किया।
यह बात नलकुबेर को पता चल गई तो उसने भी रावण को श्राप दे दिया कि
आज के बाद अगर रावण ने बिना किसी स्त्री की इच्छा के अगर उस स्त्री को स्पर्श किया तो
उसका सिर सौ टुकड़ों में बिभाजित हो जायेगा।
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