सम्मान का असली अधिकारी कौन Short inspirational hindi story on respect

Short inspirational hindi story on respect

Short inspirational hindi story on respect सम्मान हिंदी कहानी

Short inspirational hindi story on respect सम्मान हिंदी कहानी

सम्मान हिंदी कहानी

जब किसी इन्सान को बहुत सम्मान मिलता है तो उसके मन में ख्याल आता है, कि आखिर मेरा जो इतना सम्मान हो रहा है उसका असली अधिकारी  कौन है?

सम्मान सिर्फ योग्यता और ज्ञान का होता है या इसके साथ अच्छे आचरण, अच्छे स्वभाव, अच्छे संस्कार का होना भी जरुरी है।

बहुत पुरानी बात है। एक राजा थे। उनके एक राजपुरोहित थे। राजा हर कार्य को करने से पहले उनसे सलाह लेते थे। उनकी योग्यता और ज्ञान पर राजा को पूरा भरोसा था।

राज्य और प्रजा के विकास के लिए वह राजा को सलाह दिया करते थे। राजा उनका बहुत सम्मान करते थे और उनकी हर बात मान लेते थे।

राजा और प्रजा सभी उनका सम्मान करते थे। राजपुरोहित ने एक दिन सोचा कि राजा और प्रजा मेरा इतना सम्मान क्यों करते हैं, उसकी वजह क्या है ? राजपुरोहित ने अपने सम्मान का कारण जानने की एक योजना बनाई।

अगले दिन उन्होंने कोषागार से एक स्वर्ण मुद्रा चुपचाप उठा ली. कोषाधिकारी उनका सम्मान करते थे इसलिए उन्होंने कुछ नहीं कहा।

अगले दिन राजपुरोहित ने वापस स्वर्ण मुद्राएँ उठाईं, तो कोषाधिकारी को शक हुआ कि राजपुरोहित जी आखिर बिना पूछे क्यों ये मुद्राएं उठा रहे हैं। उन्होंने सोचा कुछ खास वजह से वो ऐसा कर रहे हैं। वो उनका सम्मान करते थे इसलिए कुछ न कह सके।

तीसरे दिन राजपुरोहित ने बहुत सारी मुद्राएं उठा लीं. इस बार कोषाधिकारी का सब्र टूट गया और उन्होंने सेनिकों को राजपुरोहित जी को पकड़ने की आज्ञा दे दी।

राजा को जब पता चला तो उन्हें विश्वास नहीं हुआ कि राजपुरोहित जी ने ऐसा किया है, राजा उन पर बहुत भरोसा किया करते थे।

अंत में राजा ने अपना फैसला सुनाया और पुरोहित जी को धन चुराने के अपराध में तीन माह की कैद की सजा सुनाइ।

सजा सुनते ही पुरोहित जी को अपने सवाल का जबाब मिल गया कि जो उन्हें सम्मान मिलता है उसका असली हकदार कौन है उत्तर था “अच्छा आचरण”।

इसके बाद राजपुरोहित जी ने राजा से क्षमा माँगी और बताया कि मैं जानना चाहता था कि मेरा जो इतना सम्मान होता है, उसका असली अधिकारी कौन है, इसलिए मैंने ये सब किया।

उन्होंने राजा से कहा कि आज समझ में आ गया कि सदाचरण यानि अच्छा आचरण छोड़ते ही मैं दण्ड का अधिकारी बन गया। वास्तव में नैतिकता और सदाचरण ही मेरे सम्मान के असली अधिकारी थे।

FRIENDS इस कहानी से ये शिक्षा मिलती है कि मनुष्य को हमेशा अपना आचरण अच्छा रखना चाहिए। क्योंकि अच्छे आचरण के बिना पैसा Success सब कुछ खोखला है। ज्ञान और योग्यता होने के साथ-साथ एक अच्छा इन्सान होना भी अत्यंत आवश्यक है।

 

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Comments

  1. Right बहुत अच्छा लेख प्रियंका जी |

    Anyway मैंने आपको लेख Send कर दियें है | http://techandtweet.in

  2. बहुत ही खूब, सदाचारी आचरण ही सफल जीवन का आधार है।

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