ये पेड़ों के पत्तों को आज
Hindi Poetry on feeling Sad
ये पेड़ों के पत्तों को आज क्या हुआ है
उदास से मालूम होते हैं
फूल भी तो पहले की तरह खिले नहीं लगते
आने जाने वाले लोग इतने शांत क्यूँ हैं
चारों ओर सन्नाटा सा फैला हुआ है
या फिर मुझे ही कुछ हुआ है
ये चाँद की रौशनी इतनी कम क्यूँ है
ये धरती का शोरगुल थमा सा क्यूँ है
ये हवाओं की ठंडक में कुछ कमी सी है
या फिर मेरी आँखों में ही कुछ नमी सी है
ये क्या कह रही हे जिन्दगी
कुछ बदल सी रही है जिन्दगी
या फिर मुझे कुछ गुमाँ हुआ है
हर एक ख़ुशी में कुछ बेबसी सी है
ख्वाओं में भी ख्वाव आते है
नींद से मुझे जागते है
या फिर रातें कुछ जगी सी हैं
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बहुत ही अच्छी कविता है। आपने ही लिखी है या किसी और ने ?
धन्यवाद प्रवेश जी, ये कविता मैंने ही लिखी है वाकी और भी जितनी कवितायें हैं वो भी मैंने ही लिखी हैं.
बहुत अच्छा लिखती हो आप । अपने मन की बातो को कविता के रूप में बताना बहुत ही कठिन काम है। मैंने बहुत बार प्रयास किया लेकिन नही लिख पाया क्योकि सब्द ही नहीं मिलते है।
Great words little words but deep saying
धन्यवाद.. जो सुझाव आपने दिए उन पर जरूर गौर करुँगी।
“ये साँपों की बसती है ज़रा देख कर चलना यारों..!
यहॉं का हर शख़्स बड़े प्यार से डँसता है..!!”