कृष्णजन्माष्टमी पर निबंध Hindi Essay on Krishana Janmashtmi

कृष्णजन्माष्टमी पर निबंध Hindi Essay on Krishana Janmashtmi

कृष्णजन्माष्टमी पर निबंध  Hindi Essay on Krishana Janmashtmi

कृष्णजन्माष्टमी पर निबंध Hindi Essay on Krishana Janmashtmi

प्रस्तावना

श्री कृष्णजन्माष्टमी का पर्व श्री कृष्ण भगवान के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। कृष्णजन्माष्टमी सिर्फ़ भारत में नहीं बल्कि विदेशों में भी पूरे हर्षोंउल्लास से मनाया जाता है।

कृष्णजन्माष्टमी हिन्दू समाज का त्योहार है।श्री कृष्णजन्माष्टमी पर हमसब मिलकर भगवान का जन्मदिन मनाते है। इसे हम सभी भारतीय पूर्ण  उत्साह से मनाते है।भगवान कृष्ण को गोविंद, बालगोपाल, कान्हा, गोपाल और लगभग 108 नामों से जाना जाता है।

 

श्री कृष्णजन्माष्टमी कब मनायी जाती है

हिंदू कैलेंडर के अनुसार, भगवान कृष्ण का जन्म अष्टमी  को कृष्ण पक्ष में श्रावण महीने के अंधेरी आधी रात में हुआ था इसलिए यह भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनायी जाती  जाता है।

श्री कृष्णजन्माष्टमी का इतिहास

श्रीकृष्ण भगवान वासुदेव और देवकी के 8वें पुत्र थे। उनका जन्म मथुरा में हुआ था।उस समय मथुरा का राजा कंस था। कंस बहुत अत्याचारी राजा था। वह मथुरा के निवासियों पर बहुत अत्यचाचार करता था। हर दिन उसका अत्याचार बढ़ता जा रहा था।

वह अपनी बहन देवकी से बहुत प्यार करता था।जब उसकी बहन देवकी की शादी हुई तब आकाशवाणी हुई  कि उसकी बहन देवकी का 8वां पुत्र उसका वध करेगा। यह सुनकर कंस बहुत क्रोधित हुआ और  उसने अपनी बहन देवकी को उसके पति वासुदेवसहित काल-कोठारी में डाल दिया।

कंस ने देवकी  के पहले  7 बच्चों को बड़ी बेरहमी से मार डाला। जैसे ही  श्रीकृष्ण का जन्म हुआ,  तब श्रीकृष्ण की सुरक्षा के लिए वासुदेव ने श्रीकृष्ण  को गोकुल में नंद बाबा और यशोदा माता के पास पहुँचा दिया। ताकि वह कंस से सुरक्षित रह सके।उनका जन्म कंस का विनाश करने के लिये हुआ था ।

यशोदा माता और नंद बाबा ने श्रीकृष्ण का पालन पोषण किया। उनके जन्म की खुशी में तभी से प्रतिवर्ष जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाने लगा ।

 

कृष्णजन्माष्टमी की तैयारियाँ

हम कृष्ण जन्माष्टमी को कृष्ण जन्म के रूप में मनाते है और रासलीला होती है। इसदिन भगवान के लिये झूला लगाया जाता है। उस झूले में उन्हें  प्रेम पूर्वक बिठाया जाता है। श्रीकृष्ण भगवान को उस झूले में झुलाया जाता है और भजन गाये जाते हैं।

कृष्ण जन्माष्टमी पर लोग भगवान के लिये नये कपड़े ख़रीदते है। श्री कृष्णजन्माष्टमी पर लोग उपवास करते हैं। उपवास अष्टमी पर ही किया जाता है। इस दिन किये हुए व्रत  को हम रात को  12 बजे तोड़ते है। जन्माष्टमी आने से पहले ही बाजारों में जगह जगह पर मेले लग जाते है। सभी जगह रौनक दिखायी देती है। भक्त उनकी भक्ति में मग्न रहते है

मथुरा में उनका जन्म बड़े हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है। श्री कृष्ण के जन्म दिवस पर पूरा मथुरा उनके भक्ति के रंगों में भरा रहता है। इस दिन कई श्रद्धालु उनका जन्मदिन मनाने के लिये मथुरा आते है मथुरा को बड़ी ख़ूबसूरती से  सजाया जाता है।झांकियां लगाई जाती है।

दही-हांडी फोड़ने की प्रतियोगिता

जन्माष्टमी के दिन देश के अनेक शहरों में दही-हांडी की प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। दही- हांडी की प्रतियोगिता में हर जगह के गोविंदा भाग लेते हैं। दही से भरी एक मटकी होती हैं जो रस्सी की सहायता से आसमान में किसी चीज की सहायता से लटका दी जाती है और बाल-गोविंदा के द्वारा इस मटकी को फोड़ने का प्रयास किया जाता है। दही हांडी प्रतियोगिता में जीतने वाली टीम को इनाम दिया जाता हैं। जो भी विजय टीम मटकी फोड़ने में कामयाब  हो जाती है। वह इनाम की  हकदार होती  है।

 

उपसंहार 

जन्माष्टमी के दिन व्रत रखने का नियम है पर अपनी शक्ति के अनुसार फलों का आहार करना चाहिए। भगवान कोई भी हो पर वह हमें भूखा रहने की अनुमति नहीं देते इसलिए अपनी श्रद्धा भक्ति के अनुसार व्रत करना चाहिये। अगर आप पूरे दिन कुछ भी नही खाते है व्रत में तो इसका सीधा असर आपके स्वास्थ्य पर पड़ता है। इसीलिए हमें भगवान श्रीकृष्ण के नियम और संदेशो को अपने जीवन में उतारना चाहिए।

 

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Comments

  1. bahut hi khubsoorat lekh likha hain aapne

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