कर्नल हरलैंड डेविड सैंडर्स की जीवनी
Colonel Harland Sanders Biography
कर्नल हरलैंड डेविड सैंडर्स KFC के मालिक है,
जिन्होंने ने अपनी जिन्दगी में बहुत उतार चढ़ाव देखे ।
वे अपनी पूरी जिन्दगी संघर्ष करते रहे और उनका पूरा जीवन संघर्षमय निकला।
कर्नल हरलैंड डेविड सैंडर्स का जन्म 9 सितम्बर सन 1890 में इंडियाना
के हैनरीविले शहर में हुआ था ।
कर्नल हरलैंड डेविड सैंडर्स का प्रारंभिक जीवन :
कर्नल हरलैंड डेविड सैंडर्स केवल 5 साल के थे तब उनके पिता की मृत्यु हो गयी ।
उनकी माँ एक गृहणी थी | कर्नल हरलैंड डेविड सैंडर्स की पढाई दक्षिणी विश्वविद्यालय में हुई है ।
वे अपने भाई बहनों में सबसे बड़े थे ।
इतनी छोटी उम्र में उनके पिता की असमय मृत्यु हो जाने के कारण
उनको अपने जीवन में बहुत अधिक दुखों का सामना करना पड़ा ।
उनके पिता की मृत्यु के कारण उनकी माँ को अपना घर चलने के लिये
और अपने छोटे-छोटे बच्चों की परवरिश करने के लिये उन्होंने टमाटरों की एक फैक्टरी
में नौकरी कर ली और सैंडर्स घर में अपने छोटे भाई बहनों की देख-रेख करते थे ।
सैंडर्स घर में अपनी माँ की खाना बनाने में मदद करते-करते अपने आप खाना बनाने में निपुण हो गये ।
वे सात साल की उम्र में तो वह कई क्षेत्रों के अलग-अलग व्यंजन बनाने लगे ।
सैंडर्स का संघर्षमय जीवन :
कुछ समय बाद उनकी माँ ने दूसरी शादी कर ली और अपने पति के घर ग्रीनवुड इंडियाना में रहने लगी ।
वहां भी सैंडर्स को परेशानियों का सामना करना पड़ा और वहां भी उनके सौतेले पिता उन पर अत्याचार करते थे।
वे सैंडर्स और उनके भाई बहनों को बहुत पीटते थे । सैंडर्स उनके अत्याचारों से परेशान हो गये
और उन्होंने अपना घर छोड़ दिया और एक खेत में काम करने लगे उस समय वे केवल 11 वर्ष के थे ।
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उसके बाद वे कुछ समय तक तो इधर-उधर भटकते रहे, और 15 वर्ष की उम्र में वे एक बस कंडक्टर बने ।
16 वर्ष की उम्र में वे US आर्मी में भर्ती हो गये और CUBA चले गये और फिर कुछ दिनों में जब वह रिटायर्ड हुये
तो उन्होंने एक लुहार के यहाँ उसके सहायक के रूप में काम करने लगे ।
उसके बाद वे FIRE MAN की नौकरी करने लगे ।
17 साल की उम्र तक उन्होंने अपनी कई नौकरियां खो दी|
18 वर्ष की उम्र में उन्होंने Josephine King से शादी कर ली ।
और महज एक वर्ष बाद उनकी एक बेटी हुई और उसके बाद जहाँ वे नौकरी करते थे ।
वहां उनकी अपने एक कर्मचारी उनका उसके साथ झगड़ा हो गया और उनकी नौकरी को छूट गयी।
और इस बीच उनकी पत्नी अपने बच्चों को लेकर सैंडर्स को छोड़ कर चली गयी ।
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40 वर्षों तक वे यहाँ वहां भटकते रहे और उन्होंने इस बीच उन्होंने कई नौकरियां की ।
और कई व्यवसाय भी किये पर वे हर वार असफल रहे । वे अपने जीवन से निराश हो गये थे ।
उन्होंने प्रयास करना छोड़ दिया और वे बहुत परेशान रहने लगे
फिर वे कार्बिन केन्टकी चले गये और वहां उन्होंने एक सर्विस स्टेशन खोल लिया ।
इस समय उनकी आमदनी तो पर्याप्त हो रही थी,पर और अधिक आमदनी के लिये उन्होंने
अपने सर्विस स्टेशन के पीछे वाले हिस्से में कुछ कुर्सियां और टेबल डाल ली ।
उनके सर्विस स्टेशन पर आने वाले सभी यात्रियों को अपने हाथ से बनाये
पेन फ़्राईड चिकिन, हेम स्टिक आदि खिलाने लगे|
और उनका बनाया हुआ खाना लोगों को इतना पसंद आने लगा
कि लोग खाने के दीवाने होने लगे । उनकी 9 वर्ष की मेहनत
उनको बहुत काम आयी और उन्होंने पेन फ्राइड चिकिन की रेसेपी तैयार कर ली।
अब सैंडर्स अपनी पेन फ्राइड चिकिन की रेसेपी के लिये मशहूर हो गये
और उनका चिकिन केन्टकी के गवर्नर को बहुत पसंद आया और
सन 1935 में उन्होंने सैंडर्स को कर्नल की उपाधि दे दी ।
सैंडर्स का रेस्तरां फ्लोरिडा जाने वाले मार्ग में था, जिसकारण उनका रेस्तरां अच्छा चलने लगा ।
इस रास्ते से निकलने वाला हर व्यक्ति यहाँ रुकता था और सैंडर्स के हाथ से बना खाना जरूर खाता था ।
सन 1950 में सैंडर्स के काम पर बुरा प्रभाव पड़ने लगा और
उनका व्यवसाय पूरी तरह से बर्बाद हो गया वे कर्जे में आ गये
और उन्होंने अपना रेस्तरां को बेच दिया और मिले पैसों से अपना कर्जा चुकाया ।
अब उनके पास अपनी पेन फ्राइड चिकिन की रेसेपी के अलावा कुछ भी नहीं बचा था
और उनकी उम्र भी 65 साल हो चुकी थी । सैंडर्स बहुत परेशान हो रहे थे,
कि अब क्या किया जाये पर एक दिन बैठे-बैठे उनके दीमाग में एक तरकीब सूझी
और उन्होंने सोचा कि मै अपनी रेसेपी की फ्रेंचाइजी बेच सकता हूँ । और वह अपनी कार से चल पड़े ।
उन्होंने अमेरिका और कैनेडा का दौरा किया । इसके अलावा भी उन्होंने 600 प्रान्तों में घुमा और वे
हजारों रेस्तरां मालिकों से मिले ।
आखिरी में 1009वे इंसान ने उनकी रेसेपी लेने के लिये हाँ कर दी ।
और यह सौदा यहाँ तय हो गया ।
अब इस रेसेपी के कारण विक्री बहुत बढ़ गयी जिसकारण
अन्य रेस्तरां के मालिकों ने भी सैंडर्स से फ्रेंचाइजी लेना शुरू किया ।और KFC की शुरुआत हुयी ।
16 दिसंबर सन 1980 को उनका निधन हो गया ।
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