मैं नारी हूँ नारी की शक्ति
best Hindi Poetry on Woman
त्याग, समर्पण, क्षमा
सहनशीलता, सौन्दर्य
न जाने कितने उपमानों से
शुशोभित हूँ
मैं नारी हूँ…
न जाने कितने
युगों से पीड़ित हूँ
भावनाओं ने बहा दिया मुझको
संस्कारों ने जकड़ रक्खा है
संस्कारों की वेदी पर
सर्व सुलभ एक बकरा है
अपने ही सौन्दर्य के जाल में
कैद हूँ मैं वर्षों से
तिलस्मी इस संसार में
घूमते हैं अय्यार मेरे चारों ओर
उनके नित नए रूपों में
मैं प्रतिपल ठगी जाती हूँ
फिर भी न जाने…
किस संजीवनी से जीवित हूँ
मैं नारी हूँ…
युगों- युगों से पीड़ित हूँ
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Name: Venus Singh
Profession: Teacher
We are grateful to Venus Singh for sharing this beautiful Poetry with us.
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