रानी दुर्गावती की जीवनी | Rani Durgavati biography and history in Hindi
रानी दुर्गावती भारतीय इतिहास की महान वीरांगना थी |
वह बहुत ही खुबसूरत और गुणवती भी थी | उनका जन्म उत्तरप्रदेश के महोबा जिले में हुआ था |
उनके पिता का नाम कीरतसिंह था |
उन्होंने बड़ी वीरता और साहस के साथ दिल्ली के मुगल शासक अकबर के साथ युद्ध किया|
रानी दुर्गावती महोबा की चंदेल राजकुमारी थी |
बचपन से ही उन्होंने घुड़सवारी, शास्त्र चलाना,शास्त्र परिक्षण और किशर का अभ्यास किया था |
जब वह बड़ी हुयी तो उनका विवाह गढ़ा के शासक दलपति सिंह के साथ हुआ |
गढ़ा राज्य की सीमा में वर्तमान में मध्यप्रदेश के उत्तरी जिले सम्मलित थे|
प्रारंभिक जीवन :
रानी दुर्गावती की पढ़ाई के लिये उनके पिता जी ने एक पंडित नियुक्त किया था |
पर उनका मन पढाई में बिलकुल न था वह पंडित से कहती थी क ख ग नहीं पढूंगी |
आप मुझे रामायण और महाभारत के युद्ध की कहानियां सुनाइए |
वह पढ़ने के स्थान पर शास्त्र चलाना, घुड़सवारी करना सीखती थी|
कीरतसिंह के डॉ से कोई भी उन्हें कुछ भी नहीं बोलता था |
पिता सोचते थे कि पुत्री पढ़ रही है | वह जैसे जैसे बड़ी होती गयी
इन कलाओं में निपुण होती गयी |
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एकबार की बात है वह हाथी पर बैठी तो वह बिगड़ गया लेकिन
रानी दुर्गावती ने उस हाथी को काबू में कर लिया |
महावत ये देखकर बड़े आश्चर्यचकित हुये | अब दुर्गावती बड़ी होने लगी |
उनके पिता को उनके विवाह की चिंता सताने लगी|
वह अपनी पुत्री का विवाह एक शूरवीर से करना चाहते थे |
दुर्गावती के विवाह की घटना :
किरतसिंह को गोंडवाना के राजकुमार दलपतशाह ने पत्र लिखकर
उनसे उनकी पुत्री का हाथ माँगा|
पर कीरतसिंह ने उनसे कह दिया कि पहले आप महोबा की सेना को हराकर दिखाये |
तब हम अपनी पुत्री की शादी आपके साथ कर सकते है
और यहाँ वे अपनी बेटी की शादी की तैयारी एक युवक के साथ शुरू कर देते है |
रानी दुर्गावती मन ही मन दलपतसिंह से विवाह करना चाहती थी
तो उन्होंने एक दलपत सिंह को एक पत्र लिखा|
उस पत्र में अपना सारा हाल कह दिया |
यहाँ दलपत सिंह ने जैसे इस पत्र को प्राप्त किया तो उसके मन में दुर्गावती के लिये
स्नेह उमड़ पड़ा | और उसने महोबा की सेना को हरा दिया और दुर्गावती से शादी कर ली |
विवाह के दूसरे बर्ष ही उनको एक बालक पैदा हुआ जिसका नाम वीर नारायण रखा |
विवाह के 8 साल बाद ही दलपत सिंह चल बसे |
अब दुर्गावती को सारा कार्यभार संभालना पड़ा |
रानी बड़ी कुशलता से राज्य को संभाल रही थी |
रानी ने बड़ी समझदारी और चतुराई से मालवा के शासक बाजबहादुर के
आक्रमण को असफल कर दिया |
अब महोबा के राज्य की विशाल धन सम्पन्नता की खबर अकबर को लगी |
रानी की खूबसूरती के बारे में मुगलों काफी कुछ सुना था|
युद्ध से पहले उन्होंने रानी को एक उपहार भेजा
रानी ने उन्हें बदले में एक डंडा भेजा| अकबर को गुस्सा आ गया|
उन्होंने आदेश दिया की दुर्गावती को बंदी बना लिया जाए |
युद्ध से पूर्व अकबर के सेनापति ने दुर्गावती से अधीनता स्वीकार करके
आगरा चलने का सन्देश भेजा तो दुर्गावती ने अकबर के सेनापति को सन्देश भेजा|
तुम मेरी सेना में भर्ती हो जाओ में तुम्हे एक अच्छा वेतन दूंगीं |
अकबर ने अपने साम्राज्य की बढ़ोतरी के लिये अपने सेनापति
आसफ खां को एक बड़ी सेना के साथ गोंडवाना पर आक्रमण करने भेज दिया |
रानी दुर्गावती ने अकबर की सेना के साथ युद्ध करने का निर्णय लिया |
सन 1564 में आसफ खां ने गढ़ा पर हमला कर दिया |
रानी दुर्गावती ने बड़े साहस के साथ युद्ध किया इस युद्ध में उनका बेटा भी शामिल था |
वीरनारायण इस युद्ध में घायल हो गया | अंत में रानी दुर्गावती लड़ते-लड़ते घायल हो गयी
वे नहीं चाहती थी कि अकबर उन्हें बंदी बना कर ले जाये इसीलिए
उन्होंने अपनी कटार से अपने प्राण ले लिये
और उनका पुत्र भी युद्ध में वीरगति को प्राप्त हो गया |
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