Hindi Story of Subhash Chandra bose सुभाषचंद्र बोस की बचपन की कहानी

Hindi Story of Subhash Chandra Bose सुभाषचंद्र बोस की बचपन की कहानी

Hindi Story of Subhash Chandra bose सुभाषचंद्र बोस की बचपन की कहानी

Hindi Story of Subhash Chandra bose सुभाषचंद्र बोस की बचपन की कहानी

एक बार की बात है सुभाषचंद्र बोस बहुत छोटे थे। उनके घर में दो बगीचे थे। उन बगीचों की देखरेख माली

करते थे। एक बगीचे का नाम किचन गार्डन था और दूसरे बगीचे का नाम फ्लावर गार्डन।

किचन गार्डन में सब्जियां उगाई जाती थी और फ्लावर गार्डन में रंग बिरंगी फूल उगाये जाते थे। एक दिन सुभाष

जब फ्लावर गार्डन में खेल रहे थे तब माली काका पौधों को पानी दे रहे थे।

जब माली काका गुलाब के पौधों को पानी दे रहे थे, तभी नन्हें सुभाष वहां पहुंचे और बोली माली काका मुझे

गुलाब बहुत पसंद है।आज क्या मैं गुलाब को पानी दे सकता हूँ।

 

माली काका ने कहा – क्यों नहीं बिलकुल दे सकते हो । यह

कहकर पानी का जग सुभाष को थमा दिया। सुभाष जग लेकर बड़े खुश हुये और गुलाब के पौधों को पानी

डालने लगे। पानी डालते डालते अचानक उनके हाथ में एक काँटा  चुभ गया और उनके मुंह से चीख निकल गई।

नन्हे सुभाष माली से बोले – काका गुलाब तो बहुत सुन्दर होते है पर इनमे कांटे क्यों होते है ?  क्या आप ऐसा कोई

उपाय बता सकते है, जिससे हम बिना काँटों वाले गुलाब उगा सके।

                                                                                               सुभाषचंद्र बोस की बचपन की कहानी

काका बोले – बेटा जिस तरह हमारी जिंदगी में सुख के साथ दुःख भी होते है। उसी तरह पौधों में भी फूल के साथ कांटे भी

होते है । हमें जीवन में कोई भी चीज आसानी से नहीं मिलती। अब देखो, आज हमारा देश गुलाम है। हमें आजाद होना

चाहते है । हमें जिन अंग्रेजों ने गुलाम बना के रखा है, वे हमारे देश में कांटे हुये, यदि हम उन काँटों को निकालने की कोशिश

करेंगे। तो हमें अपना खून बहाना पड़ेगा।

 

बचपन में ही यह बात सुभाष के ह्रदय में उतर गई ।वे बोले – माली काका ! में इन काँटों को निकलकर फैंक दूंगा। इसके

लिये चाहे मुझे कितना भी रक्त बहाना पड़े। माली काका बोले – बेटा अभी तुम इस उम्र में अपने देश के लिये इतनी श्रद्धा

भावना रखते हो , बड़े होकर जरूर तुम हमारे देश के लिये कुछ अच्छा करोगे ।

युवा होने पर सुभाष ने लोगों को नारा दिया “ तुम मुझे खून दो में तुम्हे आजादी दूंगा “उनके इस नारे पर खून देने वालों की एक

लम्बी लाइन लग गई थी । और आज हमारा देश आजाद है और कांटे रुपी अंग्रेजों को निकाल दिया गया है।

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