कागज का अविष्कार हिंदी कहानी | Motivational Hindi Story Of Cai Lun

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कागज तो हम सब जानते ही है जिसपर हम अपने सारे लिखने सम्बंधित काम करते है |

क्या आप जानते है ये कागज कब बनाया गया ? कागज को किसने बनाया ?

तो आइये हम इस पोस्ट में कागज की कहानी जानते है |

कागज को हम अंग्रेजी में पेपर कहते है |एक कागज का जन्म ही लिखने के लिये हुआ था|

कागज के आविष्कार से पहले ही लोगों ने लिखना प्रारंभ कर दिया था| उस समय लोग पेड़ों के पत्तों,

मिटटी और लकड़ी की पट्टीयों पर इसके आलावा पशुओं के चमड़ों पर लिखा करते थे |

पेपर का आविष्कार आज से लगभग 2000 बर्ष पहले चीन में हुआ था |

कागज को साइलून नामक एक चीनी व्यक्ति ने बनाया था |

साइलून एकबार जंगल में लकड़ी काट रहा था|

उसने लकड़ी के रेशे देखे तो उसके दिमाग में यह बात आई कि अगर इसके रेशे को कूटकर,

एक लुगदी जैसी तैयार करके एक पतली तह बना ली जाये तो हम उस पर लिख सकते है |

उसने जल्दी ही प्रयोग करना शुरू कर दिया |

 

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उसने लकड़ी के रेशों और कपड़े को बारीक पीसकर

एक लुगदी तैयार की , फिर सांचे में कपड़े को रखकर उस पर लुगदी डाल दी |

इसतरह पानी निचुड़ गया |और कागज की परत रह गयी |

कागज को सुखाकर उसे शीशे से रगड़ कर उसको मुलायम बना लिया गया |

हम जिस कागज को आज देखते है वह पहले वैसा नहीं था , कागज मोटा और खुरदुरा था |

आजकल कागज हाथ से नहीं बल्कि मशीनों से बनाया जाता है |

सन 1799 में कागज को बनाने की मशीन फ़्रांस में लूई राँबर्ट के द्वारा बनाई गयी थी |

पर इस मशीन से कागज की एक पतली सी पट्टी ही बनती थी |

अब पेपर को पेपर मिल में तैयार किया जाता है |

कागज को चीड़, देवदार, पुराने कागज, कपड़ों के चीथड़े आदि से मिलकर बनाया जाता है |

सबसे पहले तो लकड़ियों के लट्ठों से चिप्पियाँ काटी जाती है

फिर इसमें अलग अलग रशायन डालकर पकाया जाता है |

और लुगदी बनाई जाती है | लुगदी को रशयनों द्वारा सफ़ेद किया जाता है |

उसके बाद कागज को जिस रंगरूप का बनाना होता है,

उसी तरह के रशायनों के प्रयोग किये जाते है और कागज को मोटा, दानेदार,

पतला, रंगीन, पारदर्शी और चमकदार बनाया जाता है |

आजकल तो कागज का अलग-अलग जगह उपयोग किया जाता है जैसे –

कॉपियां, किताबें,लिफाफे, समाचार-पत्र, फॉर्म, टिकट करेंसी,

फलों के जूस भी आजकल जिसतरह पैक किये जाते है उसमे भी कागज का ही उपयोग होता है |

आज विश्व के योगदान में कागज का बहुत बड़ा विकास है|

यदि हम आज दुनिया को कागजी दुनियां कहे तो कुछ गलत नहीं होगा |

कागज को बनाने में बहुत अधिक मात्रा में पेड़ों को कटा जा रहा है

जो कि हमारे लिये बहुत नुकशानदायक है,

इसीलिए आप अपनी पुस्तके या कागज की बनी|

अन्य सामग्रियों को फाड़कर न फेके कागज का सदुपयोग करे|

इसे बर्बाद न करे |

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