ना करो लड़के और लड़की का पक्षपात हिंदी कविता । Hindi Poetry on partiality

ना करो लड़के और लड़की का पक्षपात हिंदी कविता ।

Hindi Poetry on partiality

ना करो लड़के और लड़की का पक्षपात हिंदी कविता । Hindi Poetry on partiality

ना करो लड़के और लड़की का पक्षपात हिंदी कविता । Hindi Poetry on partiality

 

ना करो लड़के और लड़की का पक्षपात

दिल को बहुत गहरा लगता है आघात

कहीं गहरे चुभ जाती है यह बात

लड़की नहीं रहेगी उम्र भर साथ

लड़का है कुछ भी कर सकता है

पर लड़की के समय पर बदल जाते हैं हालात

जब तक अपने घर है

जिम्मेदारियो का बोझ मां बाप के सर है

पराए घर जाते ही जिम्मेदारियां निभाते भी

शुरू हो जाते हैं उसके इम्तिहान

सिर्फ हां हां करना है और खाना बनाना

ही उसका काम नहीं

उसे भी तो रखने दो अपनी बात

उसके अंदर भी तो पलते हैं जज्बात

वो भी तो चाहती है जीवन में कुछ करना

बेखौफ आगे बढ़ना

उसके रास्ते में क्यों खड़ा रहता है

दुविधाओं से भरा समाज

ना करो लड़के मतलब लड़की का पक्षपात

 

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रात और चाँद 

न जाने क्या है इस खामोशी का सबब

कुछ नहीं कहना है कुछ नहीं सुनना है

तनहाँ सी ज़िंदगी

तुम भी क्या ख़ूब कमाल करते हो 

हमारे देश की महान नारी 

क्य वाक़ई में भारत आज़ाद हो गया है 

ये ख़ामोशी ये रात ये बेदिली का आलम 

कभी कभी अपनी परछाईं से भी डर लगता है 

मैंने चाहा था चलना आसमानों पे 

कविता लिखी नहीं जाती लिख जाती है 

अभी अभी तो उड़ान को पंख लगे हैं मेरी 

 

 

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