दास्तान ए मोहब्बत का हुआ अंजाम कुछ इस तरह
भटक रहा है दिल सुकून मिल जाए किस तरह
खाली खाली दिल में होते हैं अरमान कुछ इस तरह
टूट जाता है दिल इसे मनाए किस तरह
एहसास ए गम है तनहाई का कुछ इस तरह
लहरें समंदर से दूर जाए किस तरह
वादा करके मुकरा हुआ है दिल कुछ इस तरह
इस इल्जाम से पीछा छुड़ाएं किस तरह
जिस्म से रूह निकल जाए कुछ इस तरह
रूह को सुकून मिल जाए जिस तरह
मेरी कहानियाँ
कल्पना का जाल
MUST READ
वो नौ महीने हिंदी कविता
सवाल तुम्हारे पास भी हैं
रात और चाँद
न जाने क्या है इस खामोशी का सबब
कुछ नहीं कहना है कुछ नहीं सुनना है
तनहाँ सी ज़िंदगी
तुम भी क्या ख़ूब कमाल करते हो
हमारे देश की महान नारी
क्य वाक़ई में भारत आज़ाद हो गया है
ये ख़ामोशी ये रात ये बेदिली का आलम
कभी कभी अपनी परछाईं से भी डर लगता है
मैंने चाहा था चलना आसमानों पे
कविता लिखी नहीं जाती लिख जाती है
अभी अभी तो उड़ान को पंख लगे हैं मेरी
Speak Your Mind