जमशेदजी टाटा की जीवनी Jamshedji Tata Biography in Hindi

जमशेदजी टाटा की जीवनी Jamshedji Biography in Hindi

जमशेदजी टाटा की जीवनी Jamshedji Tata Biography in Hindi

जमशेदजी टाटा की जीवनी Jamshedji Tata Biography in Hindi

हमारे भारत के पहले  जिनका नाम जमशेदजी नुसीरवान टाटा था |

आपने हमारे भारत की सबसे बड़ी और मिश्र कंपनी टाटा की स्थापना की थी |

आपको टाटा कंपनी की स्थापना करने के कारण भारत में  “भारतीय उद्योग का जनक  ” कहा जाता है |

टाटा जमशेद जी द्वारा किये गये कार्य आज भी दुनियां में अपनी वह वाही लूट रहे है|

प्रारंभिक जीवन :

टाटा जमशेद नुसीरवानजी का जन्म 3 मार्च 1839 में गुजरात के एक नवसारी कस्बे के एक पारसी परिवार में हुआ था|

उनके पिता नुसीरवानजी टाटा थे | उनकी माँ का नाम जीवन

वे पारसी परिवार के एकलौते उद्योगपति थे जो कि पादरी समुदाय में अपनी पत्नि के साथ रहते थे |

जमशेदजी उद्योग करना चाहते थे, उन्होंने छोटे व्यापार से अपना काम शुरू किया पर अपने जीवन में कभी हार नहीं मानी |

उस समय बाल विवाह प्रथा थी जिसकारण उनका विवाह छोटी उम्र में ही हो गया था |

वे केवल 16 साल के थे और उनकी हीराबाई 10 साल की थी |

इस समय वे व्यापर भी कर रहे थे, पर उनकी पढ़ाई सुचारू रूप से चालू थी |

जमशेद जी जब केवल 17 साल के तब उन्होंने बॉम्बे के एलफिंसटन कॉलेज में दाखिला लिया|

सन 1858 में उन्होंने अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी कर ली |

उसके बाद वे अपने पिता के साथ उनके व्यवसाय में उनका हाथ बटाने लगे |

जमशेदजी ने व्यापार से सम्बंधित अमेरिका, इंग्लैंड, यूरोप आदि स्थानों पर यात्रायें की |

इन व्यापारिक यात्राओं से उनको अपने व्यापार सम्बन्धी ज्ञान में आगे बढ़ने की सहायता मिली |

इसतरह उनको यह समझ आया कि ब्रिटिश अधिपत्य के कपड़ा उद्योग में हमारी भारतीय कंपनियां भी सफलता प्राप्त कर सकती है |

जमशेदजी  का व्यापारिक जीवन :

सन 1857 के विद्रोह के कारण भारत में उद्योग में ज्यादा विकास नहीं था

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इसीलिए जमशेदजी के पिता ने उन्हें  सन 1859 में होन्कोंग भेज दिया |

चार साल तक वह वही रहे और और टाटा ग्रुप खोलने के बारे में सोचने लगे |

सन 1863 में उन्होंने होन्कोंग, चीन जापान आदि स्थानों पर टाटा के कार्यालय खोले |

फिर उन्होंने लन्दन में भारतीय बैंक खोले पर वह असफल रहे क्योंकि इस समय भारत आर्थिक रूप से कमजोर था

इसीलिए उनके द्वारा लिया गया यह निर्णय असफल रहा और टाटा कंपनी को भारी नुकशान का सामना करना पड़ा|

अपने पिताजी के साथ काम करने के बाद, उन्होंने सन 1868 में अपने पिताजी की अनुमति से

21 हजार की पूंजी लगाकर एक नये व्यापारिक संस्थान की शुरुआत की|

सन 1869 में उन्होंने एक डूबती हुई तेल मिल को ख़रीदा |

अपनी कड़ी मेहनत से काम करके उन्होंने उस मिल को कॉटन मिल में बदल दिया |

इस मिल का नाम उन्होंने एलेक्जेंडर मिल रख दिया |

अब कुछ दो साल बाद सन 1874 में जब विक्टोरिया को भारत की महरानी बनाया गया था

उस समय उन्होंने इस मिल को मुनाफे में बेच दिया और एक नई मिल खरीद ली|

इस मिल का नाम इम्प्रेस्स मिल रखा |

जमशेदजी के अंदर भविष्य को देखने की एक अद्भुद क्षमता थी,

उन्होंने न केवल भारत का बल्कि अपने कारखाने में काम करने वाले मजदूरों के कल्याण का भी किया |

वे अपनी सफलता में अपने मजदूरों को अपना सहभागी मानते थे |

वह सफलता को अपनी जागीर में नहीं आंकते थे इसलिए वे मजदूरों के हित के लिए भी काम करते थे |

और बाद में उन्होंने ही टाटा ग्रुप ऑफ़ कंपनी की स्थापना की।

उन्होंने एक सफल और औद्योगिक भारत का स्वपन देखा था ।

उद्योगों के आलावा उन्होंने तकनीकी और विज्ञान के क्षेत्र में काफी सारी सुख-सुविधाएँ भी अपने मजदूरों को दी ।

जमशेदजी के लक्ष्य बहुत बड़े थे उनके लक्ष्य कुछ इसप्रकार थे – एक प्रसिद्द अध्ययन केंद्र की स्थापना ,

एक स्टील कंपनी की स्थापना, एक बड़ा सा होटल की स्थापना, एक जलविद्युत परियोजना आदि|

उन्होंने अपने इन सभी सपनों में से एक सपना पूरा किया एक अनूठा होटल “होटल ताज महल ”|

उनके सारे सपने पूरे तो हुये पर उनकी आने वाली पीढ़ी ने इन सपनों को पूरा किया |

होटल ताज महल का निर्माण सन 1903 में हुआ था

इस होटल को बनाने में भारी खर्चा भी किया| इसको बनाने में

4,21,00,000 रुपये खर्च किये| यह भारत एकमात्र ऐसा होटल था जहाँ बिजली की सुविधाएँ प्राप्त थी |

भारत में उस समय यूरोपियों का राज्य था और भारतीयों को अच्छे होटलों में घुसने नहीं दिया जाता था |

होटल ताज महल का निर्माण करके उन्होंने अंग्रेजों को मुंह तोड़ करारा जबाब दिया |

देश के बिकास में जमशेदजी के अग्रसर कदम :

जमशेदजी ने भारत में औद्योगिक क्षेत्र की नीव डाली जब भारत आज़ाद नहीं हुआ था |

उस समय केवल कुशल उद्योगपति केवल अंग्रेज कहलाते थे पर जमशेदजी उस समय एक भारतीय उद्योगपति बने |

8 फरवरी सन 1911 को उन्होंने तीव्र धाराप्रपातों से बिजली बनाने की योजना की नीव रखी |

जमशेदजी बहुत उदार व्यक्ति थे उन्होंने अपने मजदूरों को कई सुविधाएँ दी जैसे –

उन्होंने पार्क बनबाये, पुस्तकालयों का निर्माण किया, मुफ्त दावा की सुविधा |

मृत्यु :

उनकी मृत्यु 19 मई सन 1904 को जर्मनी में हो गयी |

 

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